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भटकती आत्मा भाग - 33




भटकती आत्मा भाग –33

रात्रि के अंधेरे में सोया हुआ नेतरहाट मनकू माँझी को अजीब सा लगा। आकाश में सितारों की चादर लहरा रही थी,चांद कुछ देर पूर्व ही अपनी ज्योत्सना वसुधा के अंचल पर बिखेर कर पश्चिम क्षितिज में छुप गया था। कभी-कभी उल्लू की कर्कश आवाज शांत रात्रि के परिवेश में हलचल मचा देती थी।कभी किसी जानवर का अजीब क्रूर ध्वनि मनकू माँझी के कर्ण गह्वर में प्रवेश कर जाता था।कुत्तों का भौं-भौं और भेड़ों की मिमियाहट ने विचित्र समा बिखेर रखा था l
  मनकू माँझी कलेक्टर साहब के बंगले के निकट पहुंचा l दूर से आती हुई नगाड़े की ढप-ढप की आवाज तथा मधुर स्वर लहरी में गाया जाता हुआ उरांव लोकगीत स्पष्ट सुनाई पर रहा था। शायद यह आवाज उसके गांव से ही आ रही थी। वहीं किसी की शादी होगी,नहीं तो अभी किसी उत्सव का समय नहीं था,कोई भी पर्व नहीं था आज।
गीतों की सुरम्यता को नकारता हुआ मनकू माँझी उत्सुकतावश कलेक्टर साहब के लॉन में चहारदीवारी फांद कर जा घुसा। एक कमरे से दूधिया प्रकाश छन-छन कर गवाक्ष से बाहर निकल रहा था। मनकू माँझी ने झांक कर अंदर देखा, कलेक्टर साहब तथा मिस्टर जॉनसन आमने-सामने कुर्सी पर बैठे थे | बीच में टेबल पड़ा था,उस पर विदेशी शराब की कई बोतल पड़ी थी। दो गिलास शराब से लबालब भरे पड़े थे | कुछ बातचीत भी कर रहे थे वह,परन्तु यह बातचीत अंग्रेजी भाषा में हो रही थी,वह पूरी तरह समझ नहीं पा रहा था कि किस विषय पर बात हो रही है | टूटी-फूटी हिंदी के कुछ वाक्य भी बीच-बीच में सुनाई पड़ जाते। मनकू मैगनोलिया के संपर्क में रहकर अंग्रेजी भाषा बहुत कुछ सीख गया था इसलिए उसने अपने कानों को सजग किया,फिर खड़ा होकर सुनने लगा ध्यान से उनकी बातें। साथ ही वह समझने का प्रयास भी कर रहा था,कि वह क्या बात कर रहे हैं |
   "मैगनोलिया धीरे-धीरे तुमसे इंप्रेस हो रही है,यह ठीक हय"|
   "हां अंकल लगता तो ऐसा ही है"|
"अब तो मनकू का बच्चा भी रास्ता से हट चुका है। हम अब जल्दी तुम दोनों का शादी रचाना मांगता हय"|
   खुश होता वह जॉनसन ने कहा -  "क्यों नहीं,अब तो हमारा पापा भी आ ही गया है,कल मैगनोलिया का बर्थडे पार्टी है,उसी में आप मैरिज का दिन भी फिर फिक्स कर दीजिएगा | लेकिन मेरा रिक्वेस्ट है कि दो-तीन दिन से अधिक  समय नहीं जाना चाहिए"|
  "हां तुम्हारा पापा से मिलकर ईस्टर के अगला दिन रखना ठीक होगा l कैसा आईडिया है"?
  "लेकिन अंकल ईस्टर का तो अभी बहुत दिन बाकी है,इधर ही तीन-चार दिन में फिक्स हो तो अच्छा रहेगा । उतना दिन तक पापा भी कहां रुकेंगे,वह इंग्लैंड चले जाएंगे"।
  -  जॉनसन ने प्रतिरोध किया ।
 "अच्छा ठीक है,फिर मैं तुम्हारे पापा से मिलकर इस संडे का डेट फाइनल कर लेता हूं । संडे ठीक रहेगा" _कलेक्टर साहब ने मुस्कुराते हुए पूछा ।
जी अंकल संडे का तो चार दिन ही है, मैं तैयार हूं । अभी मैगनोलिया भी नॉर्मल है,वह भी तैयार हो जाएगी"_जॉनसन खुश हो गया था ।
फिर शराब के गिलास चीयर्स के उद्घोष के साथ ही उनके होठों से लग गए। क्रोध में मुट्ठी कसता हुआ मनकू माँझी गवाक्ष के समीप से हट गया। वह अंधेरे में ही चारदीवारी के निकट पहुंचा। अचानक बरामदे के कोने में छिपा हुआ अलशेसियन कुत्ता भौंकने लगा। मनकू माँझी डर गया,तथा तुरंत ही चारदीवारी फांद गया,फिर एक ओर चल पड़ा। उसके कानों में कलेक्टर साहब की आवाज आ रही थी,जो शायद कमरे से बाहर आ गए थे -  "कोई भी तो नहीं है, फिर यह कुत्ता क्यों भौंक रहा है"?


          -   ×   -   ×   -   ×   -

  "हैं! यह ढोल नगाड़ा,शोर-शराबा क्यों हो रहा है बच्चा"? - एक साधु रनिया बस्ती की सीमा में प्रवेश कर एक आदमी से पूछता है। 
"आप साधु जी,इतनी रात गए यहां क्या करने आये"? - उस युवक ने कहा |
  "राम-राम क्या बता है बच्चा,साधु सन्यासी के लिए दिन और रात एक सा होता है | उसके लिए सारा संसार खुला पड़ा है | फिर मैं तुम्हारे गांव में आ पहुंचा तो इसमें आश्चर्य कैसा ? तुम नहीं समझेगा ईश्वर की माया को! समझे बच्चा ! हां तो मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया"?
  युवक के साथ आगे बढ़ता हुआ ही साधु ने कहा |
  ओह साधु जी मेरे गांव में जानकी है ना, उसी की शादी है"|
  "हैं ! जानकी की शादी' ? अपने आश्चर्य पर काबू पाता हुआ साधु ने बात बदल दी -   "ठीक है बच्चा तब तो मैं अच्छा मौका पर पहुंचा | किस गांव का और किसका लड़का से हो रहा है भैया ब्याह"?
  "साधु जी,आपको अगर मैं बता भी दूँ तब उसे तो नहीं जानेंगे आप" - युवक ने कहा |
  "क्या कहता है, बच्चा ! अलख निरंजन !! मेरे लिए भूत और भविष्य कुछ भी छुपा नहीं रह सकता ! नाम से मैं सारी बातें बता सकता हूं, बच्चा"! 
  "अच्छा तो मैं बताता हूं,साबेर डीपा गांव के सरदार के बेटे से उसकी शादी हो रही है"|
   "वाह ! वाह !! तब तो कमाल हो गया बच्चा" -  खुश होता हुआ साधु ने कहा | कई लोग और भी मिल गये रास्ते में। सब भौंचक्के से साधु को देखे जा रहे थे। साथ के युवक ने कहा  - 
  "यह साधु बाबा अचानक इधर ही चले आ रहे थे,इन्होंने कहा कि भूत और भविष्य की बातें यह आसानी से बता सकते हैं। चलो मजा रहेगा आज"|
  गांव में साधु ने देखा लगभग सारे रस्मो रिवाज निपटाए जा चुके थे। जानकी गांव की युवतियों से घिरी सिसक रही थी। दूल्हा बेचारा अकेला बैठा था। साधु ने गांव के एक वृद्ध से कहा - 
  "वर-वधू को बुलाइए, मैं उनको देखना चाहता हूं"|
  दूल्हा,स्वयँ ही उठकर बूढ़े बुजुर्गों के समीप जा बैठा l साधु की आंखें खुशी से खिल उठीं। उसके हृदय की प्रसन्नता से सब अनजान ही रहे। फिर साधु की गंभीर आवाज गूंज उठी -  
   "बच्चा तुम तो भाग्यशाली मालूम पड़ता है,तुम्हारे मस्तक की रेखा बताती है कि अपने गांव में तुम सबसे ऊंचे और सम्मानित रहोगे। लोग तुम्हारी बातें मानेंगे। जरा हाथ तो दिखाना बच्चा"।
  दूल्हा बेचारे को अपना हाथ उसके निकट पसारना पड़ा। गांव के लोग कौतूहल पूर्वक सब कुछ देख-सुन रहे थे | एक युवक गैस लैंप उठा लाया था। साधु ने कहा   - 
    "बच्चा तुम्हारी शादी जिस लड़की के साथ हो रही है उसके साथ तुम्हारा सितारा बुलंद होगा, तुम उन्नति करोगे | तुम्हारे दो पुत्र रत्न,और एक कन्या की प्राप्ति होगी,लेकिन अभी अपनी वधू के साथ तुम दु:खी हो उठे हो | तुम्हारी वधू के मन में अपने मरे हुए भाई का शोक उमड़ आया है,जिससे तुम भी दु:खी हो | लो इस अंगूठी को पहन लो, सारा दु:ख जाता रहेगा" -
कहता हुआ साधु ने अपने हाथ की सोने की अंगूठी उसको पहना दी | सब लोग आश्चर्यचकित से देखते रह गए, कैसा आदमी है यह साधु,जिसने अपनी कीमती सोने की अंगूठी यूं ही दे दी। फिर तो गांव वालों की श्रद्धा उस पर बरसने लगी। कुछ युवक फल-फूल उसके सामने भोग लगाने के लिए रखने लगे,कोई पानी ले आया | फिर तो यह अनोखा साधु रनिया गांव में रातों-रात प्रसिद्ध हो गया | लोगों ने उसको सिर आंखों पर उठा लिया था | जानकी के कानों में भी अनोखे साधु की कीर्ति पहुंची | वह कई सहेलियों के साथ उत्कंठा वश साधु के निकट पहुंच गई। साधु ने उसे बुलाया भी तो था। साधु की आंखें जानकी को देखकर खुशी से भर आईं,परन्तु आंसू को लोगों से बचा कर पोंछ लिया। उसने जानकी को देखते ही कहा -   "तुम अपने भाई के लिए दु:खी हो न ! तुम्हारा वह अपना भाई तो नहीं था,लेकिन सहोदर से बढ़कर था | बेचारा किसी के षड्यंत्र का शिकार हो गया,लेकिन घबड़ाओ नहीं बच्चा ! तुम्हारा भैया आएगा ! जरूर आएगा ! एक झलक तुमको तथा गांव वालों को जरूर दिखाएगा ! क्योंकि वह मरा नहीं है ! बच गया है ! अभी यहीं बस्ती में छिपा हुआ कहीं मूक प्रार्थना ईश्वर से तुम्हारे सौभाग्य के लिए कर रहा है ! वह अपने दुर्भाग्य की परछाई तुम पर नहीं पड़ने देना चाहता ! तभी तो सामने नहीं आया | लो बच्चा यह माँ भगवती का आशीर्वाद प्रसाद के रूप में तुम लोग ग्रहण करो, भविष्य सुखी होगा"| 
कहता हुआ साधु ने मिठाई का लिफाफा उनके सामने फैला दिया। जानकी के मन का बोझ हल्का हो गया था।
     'भैया जीवित हैं' -  यही क्या कम खुशी की बात थी | शादी में साक्षात्कार नहीं हुआ तो क्या हुआ |
  "बाबा क्या हम लोग मनकू माँझी से मिल सकेंगे"?– कई लोगों ने पूछा |
"कभी नहीं,तुम लोग कभी उससे बात नहीं कर सकोगे | हां देख सकते हो तुम लोग । चार दिनों बाद वह नेतरहाट के रमणीक सूर्यास्त दृश्यावलोकन स्थली पर पहुंचेगा,फिर उसका भविष्य ऊपर वाला ही तय करेगा। बस आगे घना कुहासा दिख रहा है। कुहासा के पार क्या होगा कहा नहीं जा सकता"!
रात बीत चुकी थी। सवेरे का हल्का-हल्का प्रकाश झिलमिलाने लगा था। लोगों की आंखें लग गई थीं। साधु एक ओर चुपचाप खिसक चुका था।


    क्रमशः




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